नई दिल्ली, 28 जून। केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को नई दिल्ली से वीसी के माध्यम से दि गुजरात स्टेट को-ऑपरेटिव एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट बैंक लि. (खेती बैंक)की अहमदाबाद में आयोजित 70 वीं वार्षिक साधारण सभा (एजीएम) को सम्बोधित किया।
इस अवसर पर अमित शाह ने कहा किआज भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और 25 साल बाद आजादी की शताब्दी मनाएगा। ऐसे में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने सहकार से समृद्धि का संकल्प पूरे देश के सामने रखा है और देश की समृद्धि एवं आर्थिक उत्थान में योगदान देने की जिम्मेदारी सहकारिता क्षेत्र को सौंपी है। शाह ने गुजरात के सहकारी महाकुम्भ में 70 साल पूरे कर खेती बैंक 71वें वर्ष में प्रवेश करने पर बधाई दी।
अमित शाह ने कहा कि दि गुजरात स्टेट को-ऑपरेटिव एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट बैंक लि., जिसे खेती बैंक कहते हैं, की स्थापना 1951 में हुई और उस वर्ष में इसकी स्थापना का ऐतिहासिक महत्व भी है। सौराष्ट्र और काठियावाड़ में उस समय 222 छोटे-छोटे रजवाड़े थे और समग्र सौराष्ट्र की जमीन राजों-रजवाड़ों के नाम पर थी। किसान राजा के लिए जमीन जोतते थे और अपना जीवनयापन करते थे। परंतु जब राजोओं-रजवाड़ों का एकीकरण देश के लौहपुरूष सरदार पटेल के नेतृत्व में हुआ और भारतीय संघ अस्तित्व में आया, तब स्वाभाविक तौर से उस जमीन के मालिक किसान बनते। लेकिन उस समय राजाओं-रजवाड़ों को कीमत देने के लिए किसानों के पास पैसा नहीं था और इस कारण वह भूमि उनके नाम नहीं हो सकी।
रदार पटेल की प्रेरणा से सौराष्ट्र लैंड मोर्गेज बैंक की स्थापना
उस समय सरदार पटेल की प्रेरणा से और पोरबंदर के युवराज उदयभान सिंह के प्रयास से एक सौराष्ट्र लैंड मोर्गेज बैंक की स्थापना हुई और किसानों को ऋण देकर उन्हें जमीन का मालिक बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई। आज सौराष्ट्र, कच्छ और उत्तर गुजरात के किसान जमीन के मालिक हैं और इसका सबसे बड़ा श्रेय इस खेती बैंक को जाता है। उस समय 56 हजार किसानों को जमीन का मालिक बनाने में इस खेती बैंक ने लोन देकर बहुत बड़ी भूमिका अदा की थी और उन किसानों के माध्यम से आज यह संख्या बहुत बड़ी होने जा रही है।
खेती बैंक के लोन से किसानों को मिला सम्बल
श्री शाह ने कहा कि आज जो जमीन के मालिक हैं, उसका मूल कारण खेती बैंक द्वारा दिया गया ऋण है और बाद में बैंक ने अनेक प्रकार के काम शुरु किए। किसान जमीन के मालिक तो बन गए लेकिन जमीन को समतल करना, सिंचाई की व्यवस्था करनी, कुएं खोदना, खेती के लिए यांत्रिक साधन लाना, ये सब करना बाकी था। ऐसे में खेती बैंक ने मध्यम और लम्बी अवधि के लिए ऋण देने की जिम्मेदारी ली और आज गुजरात के किसानों को एग्रीकल्चर-इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए मध्यम और लम्बी अवधि के लोन देने का काम खेती बैंक कर रहा है।
साहूकारों के चंगुल से छुड़ाया
इस तरह से कितने ही किसानों को साहूकारों के चुंगल से छुड़ाने का काम खेती बैंक ने किया है। इस दृष्टि से गुजरात के कृषि क्षेत्र में खेती बैंक का ये बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि देश को अनाज उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का आह्वान तात्कालिन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने किया था। उस समय भी खेती बैंक ने ट्रेक्टर और कुएँ की खुदाई के लिए ऋण देकर आत्मनिर्भर बनाने में बहुत बड़ा योगदान दिया था।
नाबार्ड की स्थापना के बाद खेती बैंक का स्वरूप बदला
अमित शाह ने कहा कि नाबार्ड की स्थापना के बाद खेती बैंक का स्वरूप थोड़ा बदला और खेती के साथ-साथ ग्रामीण विकास, कुटीर उद्योग, डेयरी और स्वरोजगार के लिए भी ऋण देने का काम खेती बैंक ने शुरु किया।
सबसे बड़ा एग्रीकल्चर फायनैंस बैंक
आज खेती बैंक मध्यम और दीर्घकालीन अवधि के ऋण देने वाली एग्रीकल्चर फायनैंस का सबसे बड़ा बैंक बनकर सामने आया है। खेती बैंक के 17 जिला कार्यालय और 176 शाखाएं मध्यमकालीन और दीर्घकालीन लोन देते हैं और लगभग 8,42,000 किसानों को 4543 करोड़ रुपए का ऋण खेती बैंक ने अभी तक दिया है।
तीन लाख से अधिक सदस्य
इसके सदस्यों की संख्या भी तीन लाख से ज्यादा हो गई है और रिजर्व फंड गत वर्ष के लाभ के बाद 590 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। फिक्स डिपोजिट 238 करोड़ रुपए से अधिक हो गया है और एक साल के अंदर खेती बैंक ने लगभग 190 करोड़ रुपए की ऋण वसूली करके वित्त बैलंसिंग का काम बहुत अच्छे तरीके से किया है।
आरबीआई के समस्त पैरामीटर पर खरा उतरता है खेती बैंक
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक और नाबार्ड ने बैंकिंग के जितने मानदंड बनाए हैं, उन सभी पैरामीटर्स के अंदर खेती बैंक ने बहुत अच्छा काम किया है। उन्होंने कहा कि पहले ऋण 12 से 15 प्रतिशत की ब्याज दर पर दिया जाता था, लेकिन अब इसे घटाकर 10 प्रतिशत तक लाया गया है। पहले नियमित ऋण चुकाने के लिए 2 प्रतिशत की रियायत भी नहीं मिलती थी लेकिन अब 2 प्रतिशत रियायत भी दी जाती है। इसके अलावा कई अन्य प्रकार के बैंकिंग शुल्क में भी कमी की गई है। ओवरहेड खाताधारकों के लिए वनटाइम सेटलमेन्ट स्कीम लाकर वसूली भी की है और खातेदारों पर आने वाला बोझ भी कम किया है।
केंद्र सरकार ने किया बैंकिंग क्षेत्र में सुधार
अमित शाह ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार ने बैंकिंग क्षेत्र में अनेक सुधार किए है। प्रधानमंत्री जनधन योजना के अंतर्गत 45 करोड़ नए बैंक खाते खोले गए हैं, 32 करोड़ रुपे डेबिट कार्ड देने का काम किया है, डिजिटल लेन-देन एक ट्रिलियन डॉलर को पार कर गया है। वर्ष 2017-18 के डिजिटल लेन-देन के मुकाबले इनमें 50 गुना की बढोत्तरी हुई है।
सहकारी बैकों में लागू होंगी केंद्र की डीबीटी योजनाएं
डीबीटी के माध्यम से 52 मंत्रालयों की लगभग 300 योजना का लाभ सीधे लाभार्थियों को भेजने का काम किया गया है। उन्होंने कहा कि इन सभी योजनाओं में को-ऑपरेटिव का प्रवेश बहुत जल्द होने वाला है, जिससे नागरिकों के साथ सम्पर्क बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह खेती बैंक को नुकसान से बाहर निकालकर लाभ देने वाला बैंक बनाने का काम किया गया है, उसी प्रकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सहकार से समृद्धि के संकल्प को सिद्ध करने के लिए सहकार क्षेत्र से जुड़े सभी लोग मिलकर मेहनत करेंगे।