नाबार्ड ने सतत ग्रामीण विकास के एजेंडा के साथ पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा देने का उत्तरदायित्व लिया, बुकलेट का विमोचन
जयपुर, 12 जुलाई (मुखपत्र)। राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के 38वें स्थापना दिवस के अवसर पर जयपुर स्थित राजस्थान क्षेत्रीय कार्यालय में ‘जलवायु परिवर्तन-चुनौतियां, आर्थिक प्रभाव तथा निवेश की संभाव्यताएं’ विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी में जलवायु परिवर्तन के विभिन्न आयाम पर विस्तृत चर्चा हुई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, राजस्थान के मुख्य सचिव डी. बी. गुप्ता ने अपने सम्बोधन में जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं के प्रति जागरूकता फैलाने और जल संचयन तथा संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने केंद्रीय सरकार के जल शक्तिमंत्रालय का भी उल्लेख करते हुए जल संकट से निपटने के लिए विभिन्न परंपरागत पद्धतियों को अपनाने का आह्वान किया। मुख्य सचिव ने नाबार्ड के टीडीएफ प्रोजेक्ट की सराहना करते हुये कहा कि इससे न केवल आदिवासियों का पलायन कम हो रहा है बल्कि पारिस्थिकी संतुलन भी बेहतर हो रहा है।
नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक सुरेश चंद ने अपने सम्बोधन में राजस्थान में नाबार्ड की उपलब्धियों का संक्षिप्त ब्यौरा प्रस्तुत करते हुए पर्यावरण संरक्षण की दिशा में किए गए प्रयासों की जानकारी दी। इस अवसर पर नाबार्ड राजस्थान क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा विभिन्न योजनाओं पर आधारित बुकलेट का विमोचन भी किया गया।
एफपीओ के गठन में सहयोग का आश्वासन
राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति, राजस्थान के समन्वयक बैंक ऑफ बड़ौदा के उप महाप्रबंधक राकेश शर्मा ने ग्रामीण समृद्धि और जलवायु परिवर्तन हेतु वित्तीय सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने नाबार्ड के 10,000 एफपीओ के गठन के निर्धारित लक्ष्य में आवश्यक सहयोग का भी आश्वासन दिया।
जलवायु परिवर्तन से कृषि उपज में गिरावट की आशंका
नाबार्ड के महाप्रबंधक कुलदीप सिंह ने जलवायु परिवर्तन पर पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया। भारतीय कृषि व्यवस्था पर जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि बढ़ते तापमान, असामान्य वृष्टि,आंधी-तूफान में वृद्धि के कारण कृषि एवं अनुशंगी व्यवस्था पर गहरा और संकटपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम स्वरूप कृषि उपज में 1.5 प्रतिशत की गिरावट आने और पशुधन के सम्यक विकास को आघात लगने की आशंका जतायी।
जलस्तर बढ़ाने पर जोर
मृदा और जल संरक्षण विभाग के संयुक्त निदेशक सी. एम. तेजवात ने बांसवाड़ा जिले के आनंदपुरी, अरथुना आउट सज्जनगढ़ ब्लॉक में चल रही मुख्यमंत्री जल स्वालंबन अभियान (एमजेएसए) योजनाओं की जानकारी दी। उन्होने संरक्षण, उचित जल प्रबंधन के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों मे जल स्तर को बढ़ाने पर बल दिया।
एनजीओ-एसएचजी को पुरस्कार
कार्यक्रम में भारतीय रिजर्व बैंक की महाप्रबंधक सुश्री काया त्रिपाठी, नाबार्ड के सेवानिवृत्त कार्यपालक निदेशक एम.सी. भण्डारी सहित अन्य बैंकर, विभिन्न विभागों के अधिकारी और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको के अधिकारी भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम में राजस्थान में बेहतर कार्य निष्पादन वाले कुछ गैर सरकारी संगठनों और स्वयं सहायता समूहों को पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको और स्वयं सहायता समूहों के उत्पाद स्टाल भी प्रदर्शित किए गए।